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सोमवार, 19 जून 2017

हार और जीत .... पटाखे


कल हम पाकिस्तान से

क्रिकेट मैच बुरी तरह  हार गए।

मीडिया ने भावनाओं  का  जो गुब्बारा फुलाया था

तेज़ आवाज़ के साथ फुस्स हो गया।


मेरे पड़ोस में

एक क्रिकेट का दीवाना

भारत -पाक चैम्पियंस ट्रॉफी में

भारत की हार

और

पाकिस्तान की जीत पर
 
पटाखों से जश्न मना रहा था

माँ  ने आवाज़ दी -

बेटा  अपने देश की क्रिकेट टीम की हार पर

इतना खुश क्यों हो रहा है ?

बेटे ने कहा -

पटाखे ख़ुशी को दूर -दूर तक पहुँचाते हैं

क्रिकेट में तीन सौ अड़तीस

 रन  के बजाय एक सौ अट्ठावन  ही बने

हारने का तो ग़म है

लेकिन

आज हमारी हॉकी टीम ने

एक के मुकाबले सात गोलों   से

 पाकिस्तान को रौंद डाला है .......

बेटे के तर्क से माँ को ख़ुशी हुई .....

 अब बस कर बेटा मैं तो समझ गई भीड़ को क्या

समझाएगा ?

@हर्ष वर्धन सिंह 

शनिवार, 10 जून 2017

किसान आंदोलन

किसान तुम गोली खाओ..... परिवार को  1  करोड़ और नौकरी दिलाओ 



देशभर  में  आज  किसानों  का  मुद्दा  गर्म है।

किसानों  की उग्रता देख  सरकार हुई  नर्म है।


म. प्र . पुलिस ने  किसानों को  गोली  मार दी

संख्या की पुष्टि छोड़ो मंत्री ने शर्म ही उतार दी

पहले  कहा  हमारी  पुलिस ने गोली नहीं मारी

तीन  दिन  बाद  कहा  हमने  ही    गोली मारी

बंटे हुए माहौल में किसान- चर्चा बहुत  गर्म है

किसानों  की उग्रता देख  सरकार  हुई   नर्म है।



किसानों पर बंटा  हुआ है देश

कोई पूंजीपतियों के साथ

तो कोई  मेहनतकश किसानों के साथ

किसान अपना हक़ मांग रहे हैं

खैरात  नहीं   मांग      रहे     हैं

किसानों की ज़मीन हड़पने का

सोचा -समझा  षड्यंत्र है - फसल का उचित दाम न देना

ताकि किसान खेती छोड़कर मज़दूरी करे।

इस षड्यंत्र में शामिल हैं सरकार और उद्योगपति।

जिनसे  वोट लेकर गद्दी पाई

उन्हीं पर  गोलियां   बरसाईं

किसान के मरने पर

1 करोड़ मुआवज़ा और नौकरी

सम्बन्धी  को...

जीते  जी  दुत्कार

मरने पर पुचकार ....

किसान का माल  औने -पौने  दाम

धन कुबेरों  का ऊँचे  से  ऊंचे  दाम

किसान  का टमाटर  सड़क पर

धनकुबेर का  शोरूम में..... 

कोई करेगा  किसान के साथ न्याय...???

-हर्ष वर्धन सिंह 


शुक्रवार, 27 जनवरी 2017

विद्यार्थियों के दुश्मन

विद्यार्थियों  के हैं तीन  दुश्मन

उद्योगपति ,

राजनीति ,

क्रिकेट  के  लिए  दीवाना  मन।


मंगलवार, 3 जनवरी 2017

भाव और अभाव

अभाव  अर्थात   कमी ।  भाव  अर्थात  भावनाएं  या कोई बाज़ार  भाव।  करीब 1 माह पूर्व  अख़बार  में  खबर छपी  थी। छत्तीसगढ़ में किसानों ने अपने 70 ट्रक टमाटर रोड पर फेंक दिए क्योंकि विमुद्रीकरण के कारण उनकी उपज कोई व्यापारी खरीद ही नहीं  पा रहा है या फिर कम दाम पर बेचना पड़ रहा है ।जिससे किसानों को मुनाफा नहीं हो पा रहा है । सड़कों पर कुछ टमाटर  जानवरों ने खा लिए बाकी सब वाहनों के नीचे आकर पिचल गए ।

 एक दिन शाम को खबर आई थी कि विमुद्रीकरण के दौरान अलीगढ़ में एक गरीब मां अपने बच्चों के लिए भोजन नहीं ला पाई कई दिनों से भूखे बच्चे मां से खाना मांग रहे थे तो उस महिला ने खुद को आग लगाकर जला लिया उसे इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया । इन दोनों घटनाओं को एक साथ देखा जाए तो एक तरफ हजारों टन टमाटरों की बर्बादी हो रही है और दूसरी तरफ एक गरीब परिवार के पास रोटी भी खाने के लिए नहीं है।  इन दोनों घटनाओं में एक महत्वपूर्ण बात निकल कर  आती  है कि क्या विमुद्रीकरण देश के लिए इतना ज़रूरी  है जो किसी को आत्महत्या करने पर मजबूर कर दे । अगर है तो क्या  इसके  दुष्परिणामों पर पहले गौर नहीं किया जा सकता है । अगर ये टमाटर भूखों को दिए जाते तो शायद छोटे ग़रीब   बच्चे भूखे नहीं सोते या भूख के कारण उनकी मां को आग लगाने पर विवश न  होना पड़ता ।

एक   ओर  किसान  को उसके पैदा  किये  टमाटर की लागत नहीं मिल रही दूसरी ओर पूंजीपति अपनी आलीशान दुकानों के जरिए देशभर में महंगे दाम पर टमाटर बेच रहे हैं । अब सवाल यह है कि किसान का टमाटर 1रुपये प्रति  किलो और पूजीपति  का टमाटर 40 रुपये  प्रति किलो क्यों बिक रहा है ?

 पूंजीपतियों में एकता है और वे सरकार से अपने लिए नियम- कानून बनवा लेते हैं । वहीं किसान एकता के अभाव में बस अपनी ही उगाई फसल पर भड़ास निकालता है । और उसे समाज और सरकार को दिखाने के लिए सड़क पर फैला देता है । किसानों में एकता होती तो वे अपने टमाटरों  का सॉस बनाकर ऊंचे दामों पर बेच सकते थे या किसी गरीबों की मदद करने वाली संस्था को दान  कर सकते थे।

रविवार, 25 दिसंबर 2016

घर

भारत में

एक   धनकुबेर   की   बेटी   ने

ख़रीदा   435   करोड़   रुपए    का    बंगला

ऐसी   बिसमता   देश   में

एक   ओर   खड़ा    है   अमीर

दूसरी   ओर  बेघर  भुक्खड़   कंगला।